भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सप्तम भाव (सातवां भाव) को विवाह, जीवनसाथी, व्यापारिक साझेदारी, और सामाजिक संबंधों का भाव माना जाता है। इस भाव में स्थित ग्रह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, साझेदारी, और समाज में उसके स्थान पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। आइए जानते हैं कि सप्तम भाव में स्थित ग्रहों का प्रभाव क्या होता है।
1. सूर्य (Sun)
- सकारात्मक प्रभाव: यह जीवनसाथी में नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास, और प्रभावशाली व्यक्तित्व को दर्शाता है। व्यापारिक साझेदारी में सफलता मिलती है।
- नकारात्मक प्रभाव: अहंकार, वैवाहिक जीवन में संघर्ष, और साझेदारी में विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
2. चन्द्रमा (Moon)
- सकारात्मक प्रभाव: यह जीवनसाथी में संवेदनशीलता, भावनात्मक जुड़ाव, और देखभाल की भावना को बढ़ाता है। संबंधों में प्रेम और समझ बढ़ती है।
- नकारात्मक प्रभाव: अत्यधिक भावुकता, मनोवैज्ञानिक अस्थिरता, और वैवाहिक जीवन में तनाव हो सकता है।
3. मंगल (Mars)
- सकारात्मक प्रभाव: यह साहस, ऊर्जा, और जीवनसाथी के साथ मिलकर कार्य करने की क्षमता को बढ़ाता है। व्यापारिक साझेदारी में सक्रियता और दृढ़ता आती है।
- नकारात्मक प्रभाव: आक्रामकता, वैवाहिक जीवन में संघर्ष, और साझेदारी में झगड़े हो सकते हैं।
4. बुध (Mercury)
- सकारात्मक प्रभाव: यह संचार कौशल, तार्किकता, और समझदारी को बढ़ाता है। जीवनसाथी और साझेदार के साथ अच्छे संवाद और समझदारी रहती है।
- नकारात्मक प्रभाव: अत्यधिक विश्लेषण, छल, और वैवाहिक जीवन में अविश्वास हो सकता है।
5. गुरु (Jupiter)
- सकारात्मक प्रभाव: यह ज्ञान, समझ, और जीवनसाथी के साथ अच्छे संबंधों को दर्शाता है। व्यापारिक साझेदारी में भी सफलता मिलती है।
- नकारात्मक प्रभाव: अति आत्मविश्वास, आलस्य, और वैवाहिक जीवन में अव्यवस्थितता हो सकती है।
6. शुक्र (Venus)
- सकारात्मक प्रभाव: यह प्रेम, सौंदर्य, और आकर्षण को बढ़ाता है। जीवनसाथी के साथ रोमांटिक और सुखद संबंध रहते हैं।
- नकारात्मक प्रभाव: भोगविलास, अनैतिक संबंध, और वैवाहिक जीवन में धोखा हो सकता है।
7. शनि (Saturn)
- सकारात्मक प्रभाव: यह धैर्य, अनुशासन, और जीवनसाथी के साथ स्थायी और स्थिर संबंध को दर्शाता है। व्यापारिक साझेदारी में धैर्य और मेहनत से सफलता मिलती है।
- नकारात्मक प्रभाव: अवसाद, वैवाहिक जीवन में कठोरता, और देरी से विवाह हो सकता है।
8. राहु (Rahu)
- सकारात्मक प्रभाव: यह नवीनता, महत्वाकांक्षा, और जीवनसाथी में अद्वितीय गुणों को दर्शाता है। अप्रत्याशित व्यापारिक लाभ हो सकता है।
- नकारात्मक प्रभाव: भ्रम, छल, और वैवाहिक जीवन में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
9. केतु (Ketu)
- सकारात्मक प्रभाव: यह आध्यात्मिकता, अंतर्ज्ञान, और जीवनसाथी में त्याग की भावना को बढ़ाता है। संबंधों में आध्यात्मिक दृष्टिकोण रहता है।
- नकारात्मक प्रभाव: वैवाहिक जीवन में अस्थिरता, विच्छेद, और मानसिक तनाव हो सकता है।
निष्कर्ष
सप्तम भाव में स्थित ग्रह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, साझेदारी, और सामाजिक संबंधों को गहराई से प्रभावित करते हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि ग्रहों का यह प्रभाव उनकी स्थिति, अन्य ग्रहों के साथ उनके संबंध, और कुंडली के संपूर्ण विश्लेषण पर निर्भर करता है। इसलिए, सटीक और व्यक्तिगत ज्योतिषीय मार्गदर्शन के लिए किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श करना लाभकारी होता है।