परिचय:
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का प्रत्येक भाव पर विशिष्ट प्रभाव होता है, जो व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को आकार देता है। तृतीय भाव, जिसे “भाई-बहन भाव” भी कहा जाता है, छोटे भाई-बहनों, संचार, साहस, और तात्कालिक विचारों से संबंधित होता है। इस भाव में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति की खानपान की आदतों और पसंदों को प्रभावित कर सकती है। इस लेख में, हम तृतीय भाव में विभिन्न ग्रहों की स्थिति के प्रभाव को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि ये ग्रह कैसे व्यक्तियों की खाद्य प्राथमिकताओं और उनके खाने की आदतों को आकार देते हैं।
सूर्य:
सूर्य के तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति में साहसिकता और आत्म-प्रेरणा की भावना प्रबल होती है। ऐसे व्यक्ति आत्म-निर्भर होते हैं और अपने भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखते हैं। सूर्य के प्रभाव में व्यक्ति को स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति सजगता रहती है। उनकी खानपान की प्राथमिकताएँ ताजे फल, सब्जियाँ, और पोषणयुक्त भोजन की ओर झुकाव रखती हैं। मसालेदार और तीखा भोजन, जैसे कि पैन-फ्राइड सब्जियाँ, भारतीय करी, और स्नैक्स भी उनकी पसंद में शामिल होते हैं। सूर्य के प्रभाव में व्यक्ति खाना पकाने का शौक भी रख सकते हैं, जिससे वे नए और पौष्टिक व्यंजन बनाने में आनंदित होते हैं।
चंद्रमा:
चंद्रमा के तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति संवेदनशील और भावनात्मक दृष्टिकोण से सोचता है। भाई-बहनों के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव होता है, और वे परिवारिक आयोजनों में भाग लेने में खुशी महसूस करते हैं। चंद्रमा की ऊर्जा को मुलायम, आरामदायक और सुकून देने वाले खाद्य पदार्थ पसंद आते हैं। गर्म सूप, स्टीव, क्रीमी डिशेस, हलवे, पुड़ी, और केक जैसे मिठाइयाँ उनके पसंदीदा होते हैं। पारिवारिक या सामाजिक सम्मिलनों में सहजता से तैयार होने वाले भोजन, जैसे कि मां के हाथ का खाना, भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होता है।
मंगल:
मंगल के तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति में साहसिकता, ऊर्जा और उत्साह की भावना होती है। वे छोटे प्रयासों और यात्रा में सफल रहते हैं और भाई-बहनों के साथ अच्छा सामंजस्य बनाए रखते हैं। मसालेदार, तीखा और गर्म भोजन, जैसे कि करी, तीखे चटनी, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मांस, अंडे, दालें, दही, नट्स, बीन्स, हरी सब्जियाँ, और स्पाइसी स्नैक्स उनकी पसंद में शामिल होते हैं। मंगल के प्रभाव में व्यक्ति विभिन्न प्रकार के भोजन ट्राई करने में रुचि रखते हैं और उच्च ऊर्जा वाले खाद्य पदार्थ उन्हें आकर्षित करते हैं।
बुध:
बुध के तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति बौद्धिक रूप से सक्रिय और संवाद में दक्ष होता है। भाई-बहनों के साथ अच्छे बौद्धिक रिश्ते बनाए रखते हैं और उनकी खानपान की प्राथमिकताएँ स्वस्थ, संतुलित और पोषणयुक्त भोजन की ओर झुकाव रखती हैं। सलाद, फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, दलिया, योगर्ट, ग्रेन, और ड्राई फ्रूट्स जैसे खाद्य पदार्थ उन्हें पसंद आते हैं। नए और अद्वितीय व्यंजन, सूप, स्टीव, और लाइट स्नैक्स भी उनकी पसंद में शामिल होते हैं। बुध के प्रभाव में व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय व्यंजन और आधुनिक खाद्य ट्रेंड्स में रुचि रखते हैं।
गुरु (बृहस्पति):
गुरु का तृतीय भाव में होना व्यक्ति की ज्ञान और सलाह देने की क्षमता को दर्शाता है। वे अपने भाई-बहनों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं। उन्हें पौष्टिक, संतुलित और स्वास्थ्यवर्धक भोजन पसंद आता है, जैसे ताजे फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ। पारंपरिक भारतीय व्यंजन और धार्मिक खाद्य पदार्थ, जैसे कि खीर, पूरी-सब्जी, और भोग भी उनकी पसंद में शामिल होते हैं। हल्का और सहज भोजन, जैसे स्वादिष्ट सूप, स्टीव, और दही-चावल, भी उनकी प्राथमिकताओं में होता है।
शुक्र:
शुक्र के तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति कला और सौंदर्य के प्रति आकर्षण रखता है। वे भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय होते हैं। खाद्य पदार्थों में सौंदर्य और विशिष्टता की ओर आकर्षण उनकी प्राथमिकता होती है। वे सजावट के साथ सुंदर रूप से प्रस्तुत किए गए व्यंजन पसंद करते हैं, जैसे रंगीन सलाद, सजावट वाले मिठाई, और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ जैसे केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, हलवा, फ्रूट सैलेड, और विदेशी भोजन। शुक्र के प्रभाव में व्यक्ति नए और परिष्कृत व्यंजन बनाने में रुचि रखते हैं और खाना पकाने के प्रयोगात्मक तरीकों में आनंदित होते हैं।
शनि:
शनि के तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति को कड़ी मेहनत, संयम और धैर्य का गुण प्राप्त होता है। भाई-बहनों के साथ जिम्मेदारियों को निभाने की प्रवृत्ति होती है। वे साधारण, सादा खाना, जैसे दाल-चावल, सब्जियाँ, और रोटी पसंद कर सकते हैं। स्वस्थ स्नैक्स, सैंडविच, समोसा और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, जो शारीरिक शक्ति और स्थिरता प्रदान करते हैं, शनि की यह स्थिति खानपान में अनुशासन और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की प्रेरणा देती है।
राहू:
राहू के तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति सृजनात्मक और नवीन विचार प्रस्तुत कर सकते हैं। वे संचार के दौरान असामान्य या अनोखे तरीके अपना सकते हैं, जिससे उनकी सृजनात्मकता प्रकट होती है। राहू की ऊर्जा विवाद और विवादास्पद राय को भी बढ़ावा देती है। मसालेदार और तीखा भोजन, जैसे बर्गर, पिज़्ज़ा, पोटेटो चिप्स, सैंडविच, समोसा, फ्रेंच फ्राइज़, और नए प्रकार की स्नैक्स उनकी पसंद में शामिल हो सकते हैं। वे विभिन्न प्रकार की फ्यूज़न कुकिंग और अजीब किस्म के व्यंजन पसंद कर सकते हैं, जिनमें चटपटे और मजबूत फ्लेवर होते हैं।
केतु:
केतु के तृतीय भाव में होने पर व्यक्ति की संचार शैली में रहस्यमयता और आध्यात्मिकता हो सकती है। वे गहरे और अनूठे विचारों की ओर प्रवृत्त हो सकते हैं और भाई-बहनों के साथ असामान्य या दूरस्थ संबंध महसूस कर सकते हैं। मानसिक दृष्टिकोण से, केतु गहरी सोच और चिंताओं को जन्म दे सकता है। ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्यवर्धक और हल्का भोजन पसंद आता है, जैसे ताजे फल, हरी सब्जियाँ, और कम तेल-नमक वाले व्यंजन। साधारण और उपवास के भोजन, जैसे फल, सूखा मेवा, और शाकाहारी भोजन की ओर भी प्रवृत्ति हो सकती है। केतु की ऊर्जा के तहत व्यक्ति असामान्य व्यंजन, विदेशी खाद्य पदार्थ, या नए और अद्वितीय स्वादों को ट्राई करने में रुचि रखते हैं।
निष्कर्ष:
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में तृतीय भाव में ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति की खानपान की आदतों और पसंदों पर गहरा असर डालता है। सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहू, और केतु जैसे ग्रह तृतीय भाव में विभिन्न प्रकार की ऊर्जा और प्रभाव उत्पन्न करते हैं, जो खानपान की प्राथमिकताओं को आकार देते हैं। प्रत्येक ग्रह के प्रभाव के अनुसार, व्यक्ति की खाद्य पसंद और उनकी खाने की आदतें विशिष्ट और अद्वितीय होती हैं। इस प्रकार, ग्रहों का तृतीय भाव में प्रभाव व्यक्ति के जीवन की शैली और खानपान की आदतों को विविध और विशिष्ट रूप से परिभाषित करता है