ज्योतिष शास्त्र में चौथे भाव (4th House) को सुख भाव, मातृ भाव और गृह भाव कहा जाता है। यह भाव हमारे घर, परिवार, माता, सुख-सुविधाएं, संपत्ति, वाहनों और मानसिक शांति को दर्शाता है। चौथे भाव में स्थित ग्रह और उनके प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं:
- सूर्य (Sun):
- माता के साथ संबंध मजबूत हो सकते हैं, लेकिन कभी-कभी अहंकार और मतभेद भी हो सकते हैं।
- संपत्ति और वाहनों में सफलता मिल सकती है।
- घर के वातावरण में शक्ति और प्रतिष्ठा का महत्व हो सकता है।
- चंद्रमा (Moon):
- मानसिक शांति और संतुलन मिलता है।
- माता के साथ संबंध मधुर होते हैं और माता से लाभ मिलता है।
- घर में सुख-सुविधाएं और शांति बनी रहती है।
- मंगल (Mars):
- संपत्ति और वाहनों में वृद्धि हो सकती है।
- कभी-कभी घर में झगड़े और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- माता के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- बुध (Mercury):
- शिक्षा और मानसिक विकास के लिए अच्छा होता है।
- घर में संचार और बुद्धिमत्ता का वातावरण होता है।
- संपत्ति और व्यावसायिक मामलों में लाभ मिलता है।
- गुरु (Jupiter):
- परिवार में सुख, शांति और धार्मिकता बनी रहती है।
- संपत्ति में वृद्धि और माता से लाभ मिलता है।
- शिक्षा और उच्च अध्ययन के लिए अनुकूल होता है।
- शुक्र (Venus):
- घर में सुंदरता, लग्जरी और आराम मिलता है।
- वाहनों और संपत्ति में लाभ होता है।
- माता के साथ संबंध अच्छे होते हैं और उनसे सुख मिलता है।
- शनि (Saturn):
- संपत्ति और वाहनों में कुछ देरी और संघर्ष हो सकता है।
- माता के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- घर में शांति और स्थिरता की कमी हो सकती है।
- राहु (Rahu):
- घर में अप्रत्याशित घटनाएं और बदलाव हो सकते हैं।
- संपत्ति मामलों में धोखाधड़ी या विवाद हो सकता है।
- मानसिक तनाव और अशांति की संभावना होती है।
- केतु (Ketu):
- मानसिक शांति की कमी हो सकती है।
- संपत्ति और वाहनों में समस्याएं हो सकती हैं।
- आध्यात्मिकता और मोक्ष की ओर झुकाव हो सकता है।
इन प्रभावों का विश्लेषण व्यक्ति की जन्म कुंडली के अन्य ग्रहों, भावों और दशाओं के संदर्भ में करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में किसी भी ग्रह का प्रभाव एकांत में नहीं देखा जाता, बल्कि पूरे चार्ट के संदर्भ में देखा जाता है।