लाल किताब का इतिहास
लाल किताब का इतिहास बहुत रोमांचक है और इसका प्रारंभ अत्यंत रहस्यमयी है। यह ग्रंथ उत्तर भारतीय प्रांतोंए विशेषतः पंजाब और हरियाणा में प्रसिद्ध है। इसके विशिष्ट विधान और अनूठे उपायों के कारण यह ज्योतिष ग्रंथ अन्य ग्रंथों से अलग है। लाल किताब का मुख्य लेखक और रचयिता श्री पंडित रूपचंद जोशी माना जाता है।
लाल किताब का पहला संस्करण लगभग 1939 ईसवी में प्रकाशित हुआ था
लाल किताब का दूसरा संस्करण 1952 ईसवी में प्रकाशित हुआ था
लाल किताब का तीसरा संस्करण 1968 ईसवी में प्रकाशित हुआ था।
इन संस्करणों में पंडित रूपचंद जोशी ने ग्रंथ में कई नए उपायों में सुधार किए थे।
यह ग्रंथ विशेष रूप से उनके अनुभवोंए अध्ययन और उसकी गहरी ध्यान देने की क्षमता के आधार पर लिखा गया था। पंडित रूपचंद जी का विशेष मानना था कि ग्रहों की स्थितियों और उनके प्रभावों को देखकर उनके उपाय और समाधान द्वारा जातक की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। लाल किताब में विभिन्न प्रकार के उपाय दिए गए हैं जिन्हें अनुसरण करके जातक अपनी समस्याओं से निपट सकता है। इन उपायों में विशेष रूप से घरेलू उपकरणों और दैनिक जीवन की सामान्य चीजों का उपयोग किया जाता है।
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